बुलंदशहर : वक़्त संशोधन बिल के खिलाफ विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों ने गोष्टी का आयोजन कर इसके खिलाफ चिंता जाहिर कर केंद्र सरकार के खिलाफ अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की । रविवार को नगर में हुए गोष्ठी कार्यक्रम में आल इंडिया मिल्ली काउंसिल, मंसूरी यूथ फेडरेशन, नेशनशल सोशल ऑर्गेनाइजेशन व मुस्लिम यूथ कन्वेंशन के पदाधिकारी मौजूद रहे। नेशलन सोशल ऑर्गेनाइजेशन के बैनर तले हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता हज कमेटी के ज़िला प्रमुख हाजी नूर मोहम्मद क़ुरैशी ने की व संचालन आल इंडिया मिल्ली काउंसिल के जनरल सेक्रेटरी ज़हीर अहमद खां ने किया । कार्यक्रम का आरंभ हाफिज शकील ने क़ुरआन की तिलावत करते हुए किया। इस दौरान विभिन्न बुद्धिजीवियों ने इस बिल के खिलाफ अपनी राय रखी । जामिया फ़ारूकिया प्रमुख क़ारी तलहा क़ासमी ने कहा कि वक़्फ़ बोर्ड को लेकर केंद्र सरकार की नियत में संदेह है। इसी लिए इस बिल में छेड़छाड़ की जा रही है। वक़्फ़ केवल अल्लाह ही के लिए किया जाता है जिसकी आमदनी से गरीब मुसलमानों का फायदा हो सके। नेशनल सोशल ऑर्गेनाइज़ेशम के जिला अध्यक्ष चौधरी खुर्शीद आलम राही ने कहा कि किसी भी ग़ैर इस्लामी क़ानून के अंदर मुसलमानों का कोई हस्तक्षेप नही है तो नए वक़्फ़ संशोधन के ज़रिए केंद्र सरकार वक़्फ़ कमेटी में ग़ैर मुसलमानों को नियुक्त करके एक नए विद्रोह की तरफ इशारा कर रही है जिसे किसी भी सूरत में भारत का मुसलमान सहन नही करेगा । हाजी नूर मौहम्मद क़ुरैशी ने कहा कि वक़्फ़ संशोधन बिल में केंद्र सरकार का दख़ल फिर एक बार शरीयत में दखलंदाजी है , सरकार की नीयत साफ नही है उसने पहले ही केंद्र सरकार ने वक़्फ़ बिल में चालीस संशोधनों को मंजूरी दे दी है जिससे इसकी शक्तियां कमोज़र हो जाएंगी। देशभर में इसका विरोध है अगर यह बिल वापिस नही लिया गया तो मुसलमान सड़कों पर आएगा जिससे देश मे अराजकता फैलने का अंदेशा है। मंसूरी फेडेरेशन के पदाधिकारी नईम मंसूरी ने कहा कि देश के मुसलमानो को अपनी वक़्फ़ सम्पत्तियां बचाने के लिए एक बड़े आंदोलन की ज़रूरत है वरना न केवल हमारी मस्जिदें, मदरसे, खानकाहें, कब्रुस्तान बाक़ी रहेंगे बल्कि केंद्र सरकार इन अरबो रुपये की संपत्तियों को अपने क़ब्ज़े में लेकर इनपर बड़ी बड़ी इमारतें तामीर करा देगी। डॉ० इरशाद अहमद शरर ने कहा कि इस समय मुसलमानो को फिरको में न बटकर एकजुट होकर इस लड़ाई को लड़ना है। मेजर डॉ० फ़ाज़िल ने कहा कि वक़्फ़ सिर्फ खुदा के लिए किया जाता है हमारे पुर्वजों ने इस्लाम के नाम पर जो सम्पत्तियां वक़्फ़ की हैं हमे उन्हें सम्हालकर रखना है। सब एकजुट होकर इस बिल के खिलाफ लड़ाई लड़ें यह हमारा हक़ है और अपने हक़ की लड़ाई लड़ने के लिए हम अपने अंदर जागरूकता पैदा करें। सुहैब खान ने वक़्फ़बोर्ड पर विस्तार से बताते हुए कहा कि दुनिया के किसी भी देश मे भारत देश के बराबर वक़्फ़ सम्पत्तियां नही हैं। देश मे रेलवे के बाद सर्वाधिक साढ़े सात लाख से भी अधिक सम्पत्तियां वक्फबोर्ड पर हैं, हमे इसे बचाना है।कार्यक्रम में स्कूल मैनेजर सरदार अंसारी, हाजी जावेद ग़ाज़ी, स्कूल मैनेजर जानशीन अल्ताफ, क़ारी ज़ुबैर क़ासमी, क़ारी अबरार, मास्टर इल्यास, प्रिंसिपल एसएम नवाज़ मूसा, शकील नदवी, प्रिंसिपल क़ाज़ी अक़ील अहमद, दिलनवाज़ अंसारी, मोहम्मद अफ़ज़ाल, मौलाना शकील, हाफिज निज़ाम आदि लोगों ने अपनी अपनी राय रखी। बता दें कि साल 1954 में भारत में पहली बार वक्फ बोर्ड एक्ट बनाया गया था लेकिन बाद में इसे निरस्त करते हुए साल 1964 में केंद्रीय वक्फ परिषद का गठन किया गया था उस वक्त ये परिषद अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन था । सबसे पहले साल 1995 में वक्फ बोर्ड की शक्तियां बढ़ाई गईं थीं। साल 1991 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान देश का माहौल खराब हो गया था तत्कालीन पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने मुसलमानों को एक बेहतर संदेश देने के लिए वक्फ बोर्ड एक्ट में बदलाव किए और इसे जमीन अधिग्रहण करने के लिए असीमित अधिकार दे दिए थे । इसके बाद साल 2013 में वक्फ बोर्ड की शक्तियां बढ़ीं। 2013 में जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी तब वक्फ बोर्ड एक्ट में बदलाव करते हुए उसे अधिकार दे दिए गए कि वह मुस्लिम दान के नाम पर संपत्तियों पर दावा कर सकता है। आज जो कानून है उसके अनुसार, अगर किसी संपत्ति को एक बार वक्फ बोर्ड नाम घोषित कर दिया गया तो वह हमेशा वैसा ही बना रहेगा। साल 2022 में देश के तत्कालीन केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में बताया था कि देश में वक्फ बोर्ड के पास कुल (785934) संपत्तियां हैं। जिसमे यूपी में (214707) सम्पत्तियां हैंजिसमे (199701) सुन्नी वक्फ बोर्ड व (15006) शिया वक्फ बोर्ड के पास हैं।
वक़्फ़ संशोधन बिल किसी हाल में नही बर्दाश्त ,विभिन्न संस्थाओं ने गोष्ठी कर जताई चिंता
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