बुलंदशहर : 12 दिसम्बर 4जनवरी के नजदीक आते आते लाल तालाब का आंदोलन पुनः गर्माता नजर आ रहा है। इस आंदोलन के संयोजक अशोक शर्मा ने कहा कि जिला अधिकारी बुलंदशहर, उपाध्यक्ष व सचिव बुलंदशहर खुर्जा विकास प्राधिकरण बुलंदशहर अवगत कराए कि वह लाल तालाब के नगर पालिका परिषद बुलंदशहर के अभिलोखों मे दर्ज साक्ष्यों को अनदेखा क्यों कर रहे है।अशोक शर्मा ने बताया कि नगर पालिका ने स्पष्ट रूप से कहा है कि लाल तालाब गुरूद्वारे के सामने मोतीबाग में स्थित था। जब यह प्राधिकरण को सौंपा गया। उस समय यह तालाब की शक्ल में मौजूद था। प्राधिकरण यदि नगर पालिका परिषद को नहीं मानता है। तो उसने इस जमीन का भाव नगर पालिका से क्यों तय किया। और उनको 22 लाख रूपऐ क्यों दिए।लाल तालाब आंदोलन के मीडिया प्रभारी संजय गोयल ने कहा कि लाल तालाब के संदर्भ में दो बार जांच प्रधानमंत्री कार्यालय से व प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय से बुलंदशहर में आ चुकी है। इन दोनों जांचों में जिले के प्रशासनिक अधिकारी लाल तालाब की मौजूदगी का उल्लेख नहीं कर रहे है। जबकि यह नगर पालिका परिषद के रिकार्ड में स्पष्ट दर्ज है। साथ ही 1884 में तत्कालीन जिला अधिकारी बुलंदशहर एफएस ग्राउस ने अपनी किताब में लाल तालाब के बारे में विस्तृत रूप से लिखा है। इसके बावजूद जिले के उक्त तीनों अधिकारी शासन को लाल तालाब की सही स्थिति से अवगत नहीं करा रहे है। लाल तालाब आंदोलन के मीडिया प्रभारी संजय गोयल ने बताया कि बुलंदशहर की जिला अधिकारी, बुलंदशहर खुर्जा विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष व सचिव की लाल तालाब के बारे शासन को सही जानकारी नगर पालिका के अभिलेखों के अनुसार नहीं दी जा रही है। जिस कारण 4 जनवरी को लखनऊ में विधानसभा के सामने लाल तालाब के संयोजक अशोक शर्मा आमरण अनशन करेगें। जिसके लिए जिले के प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली दोषी है। यदि अशोक शर्मा को आमरण अनशन के दौरान कुछ होता है। तो उसके लिए यह तीनों अधिकारी ही जिम्मेदार समझे जाऐगें।
जिले के अधिकारी अवगत कराऐं किस वजह से नगर पालिका के रिकार्ड की अनदेखी कर रहे हैं : अशोक शर्मा
