अपना शहर

टीचर्स डे के मौके़ पर ये कलम जिसके शायर सैयद अली अब्बास नोगाॅंवीं हैं पेशे ख़िदमत है

बहुत याद आते हैं स्कूल के दिन !
बड़ा ही रुलाते हैं स्कूल के दिन!

वो स्कूल जाना वो पढ़़ना पढ़़ाना
किसी बात पर डांट टीचर की खाना
ये यादें दिलाते हैं स्कूल के दिन
बहुत याद आते हैं स्कूल के दिन

रिसिज़ की वो घंटी पा लंच अपना लाना
अचार और पराठे से मिलजुल के खाना
के क्या-क्या खिलाते हैं स्कूल के दिन
बहुत याद आते हैं स्कूल के दिन

वो स्कूल फंक्शन की तैयारियां
थीं
बहुत छोटे हम थे ये दुशवारियां थीं
सभी को नचाते हैं स्कूल के दिन
बहुत याद आते हैं स्कूल के दिन

हो बचपन के जैसा ये दिल चाहता है
समा फ़िर हो वैसा ये दिल चाहता है
तमन्ना जागाते हैं स्कूल के दिन
बहुत याद आते हैं स्कूल के दिन

फ्रेंड अपने स्कूल की शान भी थे
मगर उनमें से कुछ तो शैतान भी थे
कहां भूले जाते हैं स्कूल के दिन
बहुत याद आते हैं स्कूल के दिन

कभी होमवर्क उनका पूरा ना होगा
ज़ियादा अगर खेल बच्चों ने खेला
ये सब को बताते हैं स्कूल के दिन
बहुत याद आते हैं स्कूल के दिन

पढ़ाई में दिल जिसका लगता नहीं है
वो ग़ाफ़िल है ये उसने सोचा नहीं है
उसे ही रुलाते हैं स्कूल के दिन
बहुत याद आते हैं स्कूल के दिन

सुनो जिससे दुनिया कहे तुमको अच्छा
सदा एतराम अपने टीचर का करना
ये हमको सिखाते हैं स्कूल के दिन
बहुत याद आते हैं स्कूल के दिन

थे सब नेको क़ाबिल जो टीचर मिले थे
हमें इल्म की राह दिखला रहे थे
दिलों में समाते हैं स्कूल के दिन
बहुत याद आते हैं स्कूल के दिन

सभी मित्र वर्षों से बिछड़े हुए थे
मगर आज हैं फ़िर सभी मिलके बैठे
सभी को मिलाते हैं स्कूल के दिन
बहुत याद आते हैं स्कूल के दिन

कोई डॉक्टर कोई इंजीनियर है
पुलिस का भी अफ़सर कोई सीनियर है
के क्या-क्या बनाते हैं स्कूल के दिन
बहुत याद आते हैं स्कूल के दिन

नसीहत को मेरी अगर याद रख्खा
मज़ा सिर्फ तालीम का जिसने चख्खा
तो क़ाबिल बनाते हैं स्कूल के दिन
बहुत याद आते हैं स्कूल के दिन

गुज़रते चले जाते हैं धीरे-धीरे
ये कहता है अब्बास तो हर किसी से
कहां लौट पाते हैं स्कूल के दिन
बहुत याद आते हैं स्कूल के दिन

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