बुलंदशहर : दूरदराज से और आसपास से शायरों ने शिरकत की इस प्रोग्राम की अध्यक्षता मोहम्मद नौशाद साबरी साहब ने की और मुशायरा की निज़ामत के फ़राइज़ अपने खास अंदाज में अंजाम दिए दिल्ली से आए शायर सैयद अली अब्बास नौगाॅंवीं ने । गांव के प्रधान अय्यूब कुरैशी , डॉ इमरान और तमाम मेहमानों ने फ़ीता काटकर और शमा रोशन करके मुशायरे का आग़ाज़ किया । सबसे पहले सैयद अली अब्बास नौगाॅंवीं ने नाते पाक पेश की मुशायरा में पढ़े गए कुछ शेर आपकी नज़र हैडॉक्टर सैयद निज़ामी शैदा राही कहते हैं ना जाओ छोड़ के बरसात का यह मौसम है करीब आओ मुलाकात का ये मौसम हैसैयद अली अब्बास नौगाॅंवींकहते हैं सड़क पर गिर के उठ जाते हैं लेकिन नज़र से गिर के कब कोई उठा हैफ़हीम कमालपुरी ने ये पढ़कर तालियां बटोरी ज़माने का मेरे यारों येही दस्तूर होता हैसताया उसको जाता है कि जो मजबूर होता है एन मीम कौसर कहते हैं मैं अपने दर्द सुनता रहा ज़माने को ज़माने वाले मगर वाह वाह करते रहेइरशाद अहमद शरर एडवोकेट कहते हैं ऐसे लम्हात भी गुज़रे हैं मोहब्बत में शररयाद आई है तो फ़िर नींद नहीं आई हैप्रिंस नाज़ सियानवी ने जब पढ़ातो लोगों ने बहुत तालियां बजाईवो परेशान इस कदर है क्या करूं कशमकश में दिल किधर है क्या करूं डॉक्टर फ़िरासत जमाल डम डम ने हास्य व्यंग पढ़कर लोगों को खूब हंसाया उन्होंने कहा कल मेरा बहनोई जो आया दाल बनी थी मेरे घर आज बहू का भैया आया झट से मुर्गा काट दिया असलम बुलंदशहर ने कहा अब आके जवानी में मुझे घूर रहा है बचपन से मेरी आंखों का तू नूर रहा है राशिद नानपारी साहब फ़रमाते हैंमैं अपनी बेबसी पर रोदिया बच्चों ने जब बोला नहीं जा पाएंगे हम इस बार अब्बा जान मेले में अशोक साहब ने कहा हदों के पार जाना चाहते हैं परिंदा पर जलाना चाहते हैं इनके अलावा रेहान सयानवी, शहजाद नानपार्वी, हकीम अब्दुल सत्तार गुल बुलंदशहर ने अपना कलाम पेश किया मुशायरा बहुत शानदार रहा और देर रात 2:00 बजे समाप्त हुआ.
ग्राम जलीलपुर जहांगीराबाद जिला बुलंदशहर में 38वे उर्स मुबारक जश्ने साबिर के नाम से मनाया गया जिसमें मुशायरा किया गया
