योगी राज में भी घोटाले बाजों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं हुआ नगर पंचायत में हुआ दो साल में तीस लाख रुपए का फर्जीवाड़ा दस फर्जी कर्मचारियों का वेतन डकार गए घोटाले बाज

औरंगाबाद : बुलंदशहर नगर पंचायत औरंगाबाद में दस फर्जी कर्मचारियों के वेतन हड़प कर डकारने वाले घोटालेबाजों के खिलाफ अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है जबकि महीने भर पहले ही दस फर्जी कर्मचारियों के नाम पर पिछले दो साल में लगभग तीस लाख रुपए से ज्यादा रकम हड़पने का घोटाला तमाम जांच पड़ताल के बाद साबित हो चुका है। खास बात यह है कि यह घोटाला सपा बसपा या कांग्रेसी सरकारों के कार्यकाल में नहीं हुआ बल्कि भृष्टाचार रिश्वत खोरी और घोटालों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का ढिंढोरा पीटने में मशगूल भाजपा सरकार और उसके कड़क तेवरों वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के कार्यकाल में ही अंजाम दिया गया। बाबजूद इसके घोटाले बाज फिलहाल शासन, प्रशासन, कानून व्यवस्था,और जीरो टॉलरेंस नीति को ढेंगा दिखाते नजर आ रहे हैं।अब घोटाले की एक झलक पर नजर डालें। 15सितंबर 2025 में नगर पंचायत के आधा दर्जन सभासदों ने अधिशासी अधिकारी सेवा राम राजभर को लिखित शिकायती पत्र देकर अवगत कराया था कि नगर पंचायत औरंगाबाद में लगभग एक दर्जन से अधिक फर्ज़ी लोगों को नगर पंचायत में बतौर कर्मचारी तैनात दिखाकर उनके नाम पर लाखों रुपए महीने वेतन निकाल कर हड़पा जा रहा है। सभासदों ने अधिशासी अधिकारी से जांच कराकर हड़पे गये सरकारी धन को वापस सरकारी खजाने में जमा कराए जाने और दोषी पाए जाने वाले नगर पंचायत के सर्वेसर्वाओं के खिलाफ मामला दर्ज कर कठोर कार्रवाई करने की मांग की थी। सेवा राम राजभर ने मामले की जांच करने हेतु तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की थी। जांच कमेटी ने सभी कर्मचारियों की 18 सितंबर को परेड कराई जिसमें चौदह कर्मचारी मौजूद नहीं थे। जांच कमेटी को दबाब में लाने के लिए सर्वेसर्वाओं ने तमाम हथकंडे अपनाए यहां तक कि चहेते सभासदों के सामने कर्मचारियों की परेड कराई लेकिन अंततः दस कर्मचारियों की नियुक्ति फर्जी पाई गई। मामले की जांच अधर में लटका दिए जाने पर सभासदों ने 27 सितंबर को जिलाधिकारी एवं अपर जिलाधिकारी प्रशासन से मिलकर और शपथपत्र दाखिल कर जांच पड़ताल कराने की गुहार लगाई। प्रशासन से मिले निर्देश पर पुनः मामले की जांच शुरू हुई और सुरेंद्र सिंह,अमन, विवेक मुजम्मिल विनय ,देव ,शाहिद, रोहित शमीम और योगेश नामक दस कर्मचारियों की फर्जी तैनाती पकड़ी गई। इस पर कार्रवाई करते हुए अधिशासी अधिकारी सेवा राम राजभर ने कार्यालय पत्रांक 182 दिनांक 6अक्टूबर 25 मै0 श्यौदयाल सिंह कांट्रैक्टर को जारी कर फर्जी पाये गये दस कर्मचारियों को तत्काल हटाने उनके नाम पर निकाले गए वेतन को वसूल कर नगर पंचायत को वापस लौटाने के निर्देश दिये । लेकिन एक महीने में भी इस सरकारी पत्र पर संबंधित कांट्रेक्टर ने कोई जवाब नहीं दिया और ना ही सरकारी धन को वापस लौटाया। नगर पंचायत के सर्वेसर्वाओं पर कोई कार्रवाई होना तो दूर फिलहाल तो सरकारी धन को वापस तक नहीं लौटाया जा सका है। शासन प्रशासन और तमाम सरकारी कर्मचारी जानते हैं कि ऐसे घोटाले बिना सर्वेसर्वाओ की मिली भगत के अंजाम नहीं दिये जा सकते हैं। देखना दिलचस्प होगा कि मामला दबा दिया जाएगा या घोटाले बाजों से वसूली कराकर हड़पे गये तीस लाख रुपए से ज्यादा रकम सरकारी कोष में जमा कराई जाएगी।अधिशासी अधिकारी सेवा राम राजभर ने पूछने पर कहा कि संबंधित ठेकेदार को बार बार लिखा जा रहा है और यदि वह आनाकानी करने से बाज नहीं आता है तो एफ आई आर दर्ज कराई जाएगी और फर्म को ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा।

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