बुलंदशहर : में ब्रेन स्ट्रोक या एन्यूरिज्म जैसी गंभीर समस्याएं पहले केवल ओपन सर्जरी से ही ठीक हो सकती थीं, जिसमें सिर को खोलना पड़ता था, लंबा समय लगता था और निशान भी रह जाते थे। लेकिन अब एक नई तकनीक न्यूरो-इंटरवेंशन के ज़रिए इन बीमारियों का इलाज बिना सिर पर कट लगाए, सिर्फ एक पतली ट्यूब के सहारे किया जा सकता है।न्यूरो-इंटरवेंशन ने इलाज को न केवल सुरक्षित और तेज़ बनाया है, बल्कि मरीज़ों को दर्द और परेशानियों से भी राहत मिल रही है। भारत में हर साल 18 लाख से ज़्यादा लोग स्ट्रोक का शिकार होते हैं, और ऐसे में कम दर्दनाक व तेज़ इलाज की मांग लगातार बढ़ रही है।डॉ. सुमित गोयल, डायरेक्टर – न्यूरोसर्जरी एवं ग्रुप डायरेक्टर – न्यूरोइंटरवेंशन, यथार्थ हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा, बताते हैं, “हमारा मकसद अब सिर्फ बीमारी का इलाज करना नहीं, बल्कि ऐसा तरीका अपनाना है जिससे मरीज़ जल्दी और सुरक्षित तरीके से अपनी सामान्य ज़िंदगी में लौट सके। न्यूरो-इंटरवेंशन से अब बिना सिर काटे दिमाग का इलाज मुमकिन है, और यह वाकई भविष्य की दिशा में एक बड़ा कदम है।”इस प्रक्रिया में डॉक्टर एक पतली ट्यूब को पैर या कलाई की नस के रास्ते दिमाग तक पहुंचाते हैं। लाइव एक्स-रे की मदद से यह ट्यूब दिमाग के उस हिस्से तक पहुंचाई जाती है जहाँ समस्या होती है। वहां जाकर डॉक्टर ब्लड क्लॉट को निकाल सकते हैं, कमजोर नस को सील कर सकते हैं या अंदरूनी ब्लीडिंग को रोक सकते हैं। ये सब बिना सिर पर कोई चीरा लगाए किया जाता है, और ज़्यादातर मामलों में मरीज़ पूरी तरह होश में रहते हैं या हल्की बेहोशी में रहते हैं। हालाँकि, कुछ प्रक्रियाओं में सुरक्षा और आराम के लिए सामान्य एनेस्थीसिया की आवश्यकता हो सकती है।स्ट्रोक के इलाज में, जहां दिमाग की नस में क्लॉट जमने से खून का बहाव रुक जाता है, वहां न्यूरो-इंटरवेंशन से उस क्लॉट को निकाला जा सकता है और खून का बहाव फिर से शुरू किया जा सकता है। अगर ये समय पर किया जाए तो मरीज़ की जान बच सकती है और अपंगता से बचाव हो सकता है।ब्रेन एन्यूरिज्म, जिसमें दिमाग की नस फुलकर फटने का खतरा होता है, उसे भी अब बिना ओपन सर्जरी के ठीक किया जा सकता है। डॉक्टर कैथेटर से कॉइल या फ्लो डाइवर्टर डालकर अंदर से ही उस कमजोर हिस्से को सील कर देते हैं। इसी तरह, गले की संकरी नसों का इलाज कैरोटिड स्टेंटिंग के ज़रिए किया जाता है, जिसमें स्टेंट डालकर दिमाग में खून का बहाव बेहतर किया जाता है, जिससे स्ट्रोक का खतरा कम हो जाता है।न्यूरो-इंटरवेंशन से मरीज़ जल्दी ठीक होते हैं, उन्हें ज़्यादा दर्द नहीं होता, और अस्पताल में ज़्यादा दिन रुकने की ज़रूरत नहीं पड़ती। कई मरीज़ एक-दो दिन में ही घर लौट जाते हैं। कुछ मामलों में स्ट्रोक के बाद फिजियोथेरेपी या स्पीच थेरेपी की ज़रूरत पड़ सकती है, लेकिन रिकवरी ओपन सर्जरी के मुकाबले कहीं ज़्यादा तेज़ और आरामदायक होती है।स्ट्रोक जैसे इमरजेंसी मामलों में हर मिनट कीमती होता है। अचानक शरीर में कमजोरी, बोलने में परेशानी या चेहरे का एक तरफ झुक जाना जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत अस्पताल जाना चाहिए। जितनी जल्दी इलाज शुरू होगा, ठीक होने की संभावना उतनी ही ज़्यादा होगी।आज भारत के कई अस्पताल इस तकनीक को अपना रहे हैं, जिससे स्ट्रोक, एन्यूरिज्म और दूसरी दिमाग से जुड़ी समस्याओं का इलाज अब बिना ओपन सर्जरी के संभव हो पाया है। यह नई उम्मीद है उन लाखों मरीज़ों के लिए जो अब दर्द और कठिनाइयों के बिना इलाज की राह देख रहे हैं।
ब्रेन सर्जरी अब बिना कट या टांके के हो सकती है: न्यूरो-इंटरवेंशन से मुमकिन इलाज
