बुलंदशहर : मृत्यु के उपरान्त हमारी आंखें किसी नेत्रहीन की जिंदगी में उजाला भर सकें, इस भाव को लेकर राष्ट्र चेतना मिशन द्वारा नेत्रदान हेतु जनजागरण अभियान निरंतर जारी है। मंगलवार को विश्व नेत्रदान दिवस के अवसर पर भी दधीचि देहदान समिति के माध्यम से नगर के 11 लोगों ने मरणोपरांत नेत्रदान का संकल्प पत्र भरकर मानवता की महान सेवा हेतु स्वेच्छा से पंजीकरण कराया।राष्ट्र चेतना मिशन के अध्यक्ष हेमन्त सिंह ने बताया कि बुलंदशहर नगर में विगत कुछ वर्षों में 250 से अधिक लोग नेत्रदान तथा 50 लोग देहदान हेतु सहर्ष संकल्प ले चुके हैं। कुछ दिन पूर्व उनमे से एक अशोक कंसल के देहान्त उपरांत मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा शिक्षा हेतु देहदान किया गया।मृत्यु के बाद सम्पूर्ण नश्वर शरीर या कोई अंग किसी पीड़ित मनुष्य के काम आ सके इससे बड़ा मानवता की सेवा का कार्य कोई नहीं है। सृष्टि की रक्षा और वज्र निर्माण हेतु अपना अस्थि पंजर देवताओं को दान करने वाले महर्षि दधीचि को आदर्श मानकर दधीचि देहदान समिति का यह जनजागरण अभियान पिछले 27 वर्षों से लगातार जारी है।विश्व नेत्रदान दिवस 10 जून को बुलंदशहर के वरिष्ठ दंत चिकित्सक डॉ वीरेन्द्र गर्ग एवं पत्नी वीणा गर्ग, सरदार दलजीत सिंह एवं उनकी पत्नी रीना सलूजा, पवन मित्तल एवं उनकी पत्नी सीमा मित्तल, अजय आहूजा, भावेश आहूजा, सुखवीर सिंह चौहान, देवेश शर्मा, निशान्त अग्रवाल, शुभ शर्मा ने स्वेच्छा से नेत्रदान और देहदान हेतु संकल्प पत्र भरकर पंजीकरण कराया।
विश्व नेत्रदान दिवस पर राष्ट्र चेतना मिशन की प्रेरणा से 11 लोगों ने लिया मरणोपरांत नेत्रदान का संकल्प
