निर्जला एकादशी के दिन जुगल जोड़ी और लड्डू गोपाल की करनी चाहिए विशेष पूजा

बुलंदशहर : शीतल गंज स्थित मंदिर पर हरि नाम संकीर्तन मंडल के 51 वें वार्षिक महोत्सव के उपलक्ष में श्रीमद् भागवत कथा में भगवान की कृष्ण लीलाओं का वर्णन साथी साथ रुक्मणी हरण का वर्णन किया गया निर्जला एकादशी मैं तो बताया और मथुरा वृंदावन से अनेक साधु संत भी श्रीमद् भागवत कथा में पधारेबुलंदशहर नगर के श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में श्री हरि नाम संकीर्तन मंडल के 51 वें वार्षिक मौसम में वृंदावन से पधारे कथावाचक श्री धनंजय जी दास महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा में बताया कि निर्जला एकादशी का एक बड़ा महत्व होता है निर्जला एकादशी को भगवान श्री कृष्ण राधा रानी जी की पूजा पाठ करनी चाहिए साथ ही साथ जो भी व्यक्ति व्रत रह सके में व्रत रहे और जो निर्जला व्रत रहता है उसको बड़ा फल मिलता है। निर्जला एकादशी के दिन जिस घर मै लड्डू गोपाल है या जुगल जोड़ी है तो निर्जला वाली काशी वाले दिन उनकी विशेष पूजा करनी चाहिए जो भी व्यक्ति या महिला पुरुष निर्जला एकादशी को व्रत रखता है तो वह भगवान की पूजा राधा नाम किस नाम या जो भी उनका प्यार भगवान हो उनका नाम अवश्य लेकर पूजा पाठ जरूर करनी चाहिए। यह निर्जला एकादशी साल में एक बार आती है निर्जला एकादशी पर दान पुन्नामी अवश्य करना चाहिए निर्जला एकादशी पूजा पाठ और व्रत करने से भगवान कैसे और ज्यादा रानी की अति कृपा होती हैरमणरेती धाम से स्वामी कार्ष्णि राम कृष्णानन्द जी महाराज, स्वामी कार्ष्णि श्री आत्मानंद जी महाराज कथा में आज पधारेश्रीमद् भागवत कथा में भगवान की कृष्ण लीलाओं का वर्णन साथ ही श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते है उसे दर्शन देते है। भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भदेश के राजा की पुत्री रुक्मणि के साथ संपन्न हुआ लेकिन रुक्मणि को श्रीकृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया। इस कथा में समझाया गया कि रुक्मणि स्वयं साक्षात लक्ष्मी है और वह नारायण से दूर रह ही नही सकती यदि जीव अपने धन अर्थात लक्ष्मी को भगवान के काम में लगाए तो ठीक नही तो फिर वह धन चोरी द्वारा, बीमारी द्वारा या अन्य मार्ग से हरण हो ही जाता है। धन को परमार्थ में लगाना चाहिए और जब कोई लक्ष्मी नारायण को पूजता है या उनकी सेवा करता है तो उन्हें भगवान की कृपा स्वत ही प्राप्त हो जाती है। श्रीकृष्ण भगवान व रुक्मणि के अतिरिक्त अन्य विवाहों का भी वर्णन किया गया। कथा के मुख्य जजमान अमित बंसल प्रदीप गोयल रहे ।

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