विश्व में भारत का सबसे विशाल संविधान — राजवीर सिंह राष्ट्रीय प्रवक्ता शिरोमणि संत श्री गुरु रविदास विश्व महापीठ

बुलंदशहर : में दिनांक 26 नवंबर 2025 शिरोमणि संत श्री गुरु रविदास विश्व महापीठ के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजवीर सिंह पटवारी द्वारा संविधान दिवस के शुभ अवसर पर पर सभी देशवासियों एवं प्रदेश वासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं प्रस्तुत की हैं।भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। जहाँ विश्व में संविधान सामान्यतः 25-30 वर्ष चलते है, वही हमारा संविधान 76 वाँ वर्षगाँठ बना रहा है ।राजवीर सिंह द्वारा बताया गया कि 26 नवंबर 1949 को आज के दिन ही भारत की संविधान सभा ने संविधान को अंगीकार किया था जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।संविधान रचयिता पूज्यनीय भारतरत्न डॉ भीम राव आंबेडकर जी ने आज के दिन 1949 को संविधान को,संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद जी को सौंपा था। 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा के सभी सदस्यों ने इस पर अपने हस्ताक्षर किए जो दो दिन बाद 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। तथा उनके द्वारा अवगत कराया कि आज के दिन आर्टिकल 370 एवं आर्टिकल 35-A की चर्चा भी आवश्यक है।आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया गया जो पंडित जवाहर लाल की तुष्टिकरण की पराकाष्ठा थी।जम्मू-कश्मीर को अलग संविधान, अलग झंडा दिया गया। वहाँ भारतीय संविधान और अन्य अधिनियम लागू नहीं होते थे। वहाँ अलग “क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम” था।आईपीसी की जगह “रनवीर पेनल कोड” अलग कोड ऑफ़ क्रिमिनल प्रोसीजर और एविडेंस एक्ट था। भारतीय संसद द्वारा पारित वहाँ वही क़ानून लागू हो सकते थे जिसे जम्मू-कश्मीर विधान सभा अनुमोदित करे। आगे राजवीर सिंह राष्ट्रीय प्रवक्ता द्वारा कहा गया कि भारत के पास जम्मू-कश्मीर का केवल डिफेंस,विदेशनीति और संचार था। इस तरह पंडित नेहरू ने शेख़ अब्दुल्ला को ख़ुश करने के लिए जम्मू-कश्मीर को बिल्कुल अलग अधिकार दे दिया था, तभी तो वहाँ के कट्टरपंथी उसे अलग देश मानते थे जिसका परिणाम रहा “आतंकवाद” जिसका ख़ामियाज़ा हम अब भी भुगत रहे हैं। संविधान ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर इसे किसी भी दशा में आर्टिकल 370 लागू नहीं करना चाहते थे। पंडित नेहरू ने शैख़ अब्दुल्ला को बाबा साहेब के पास भेजा। बाबा साहेब ने शेख़ अब्दुल्ला को लताड़ लगाकर वापिस कर दिया। राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सेवानिवृत्ति पटवारी राजवीर सिंह द्वारा बताया किपंडित नेहरू ने चुपके से आर्टिकल 370 की ड्राफ्टिंग एन गोपालस्वामी आयंगर को दी जिन्होंने पंडित नेहरू और शेख अब्दुल्ला के अनुसार इसकी ड्राफ्टिंग की और जब बाबा साहेब अवकाश पर थे, उस समय संविधान में अंकित करवा दिया। आर्टिकल 35-A तो और भी खतरनाक था। इसे 1954 में संसद में बिना पारित कराये, राष्ट्रपति के आदेश से संविधान का हिस्सा बना दिया गया। इस आर्टिकल से जम्मू-कश्मीर विधानसभा को अधिकार दिया गया कि वह तय करेगी कि कौन जम्मू-कश्मीर का “परमानेंट” निवासी है और कौन नहीं। इसी आर्टिकल की आड़ में 1957 में पंजाब से बुलाये गये 262 बाल्मीकि परिवार के अधिकारों का हनन हुवा कि वे जम्मू-कश्मीर के स्थाई निवासी नहीं हैं। जो स्थाई निवासी नहीं माने गए वे ज़मीन, मकान नहीं ख़रीद सकते थे और न ही सरकारी सेवा के हकदार थे न ही उन्हें स्थाई निवासियों की तरह अधिकार प्राप्त थे। वे जम्मू-कश्मीर विधानसभा में वोट नहीं दे सकते थे, केवल संसदीय चुनाव में ही वे वोट दे सकते थे। उन बालमोकियों के बच्चे कितना भी पढ़ लिख लें, उन्हें केवल सफ़ाई कर्मी की या मेला ढोने की ही नौकरी मिलती थी राजवीर सिंह द्वारा देश के यशस्वी एवं लोकप्रिय प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी जी, गृहमंत्री अमित शाह जी को बधाई और साधुवाद देता हूँ तथा उनका आभार प्रकट करता हूं कि उन्हेंने 5 अगस्त 2019 को कड़ा निर्णय लेकर आर्टिकल 370 एवं 35-A को समाप्त किया।अब अन्य राज्यों की तरह जम्मू-कश्मीर भारतीय गणराज्य का हिस्सा है और वहाँ भी भारतीय संविधान के साथ-साथ सभी क़ानून लागू हो गए। वहाँ दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों को सेवाओ में आरक्षण मिला एवं सभी संविधान प्रदत्त अधिकार मिले।

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