बुलंदशहर : में विभीषण शरणागति, सेतुबंध रामेश्वर स्थापना एवं अंगद-रावण संवाद, लक्ष्मण शक्ति लीला का मंचन किया गया।लीला के दौरान दिखाया गया कि विभीषण की श्रीराम भक्ति से नाराज रावण उनको देश निकाले का फरमान सुनाता है। इसके बाद विभीषण प्रभु श्रीराम के पास पहुंचते हैं। श्रीराम उनको अपनी शरण में ले लेते हैं। इसके बाद वानर सेना के साथ श्रीराम-लक्ष्मण समुद्र के किनारे जाते हैं और समुद्र से रास्ता मांगते हैं।काफी विनती के बाद भी जब समुद्र रास्ता नहीं देता है तो क्रोधित होकर श्रीराम अपने धनुष पर बाण चढ़ाते हैं। डरा हुआ समुद्र श्रीराम के समक्ष प्रकट होता है और क्षमा प्रार्थना करता है। साथ ही मार्ग भी देता है।इसके बाद श्रीराम समुद्र तट पर ही भगवान शंकर का पूजन कर रामेश्वरम की स्थापना करते हैं इसके बाद वानर सेना समुद्र पर पत्थर का पुल बनाती है और सभी लंका पहुंच जाते हैं।इसके बाद राम अंगद को दूत बनाकर लंका भेजते हैं। अंगद दरबार में पहुंचते हैं और रावण से संवाद करते हैं। अंगद शर्त रखते हैं कि कोई मेरा पैर टस से मस कर दे तो मैं मान जाऊंगा कि आप श्रीराम को पराजित कर सकते हैं।कोई भी अंगद का पैर नहीं हिला पाता। रावण पांव डिगाने के लिए उठता है तो अंगद समझाते हैं कि अगर आप मेरी जगह श्रीराम का पैर पकड़ते तो आपका कल्याण हो जाता।रावण का पुत्र मेघनाथ के द्वारा लक्ष्मण को मुर्छित करना।लक्ष्मण का युद्ध भूमि में जानामेघनाथ की गर्जना सुनकर लक्ष्मण अपने भाई श्रीराम की आज्ञा से उससे युद्ध करने पहुंचे। लक्ष्मण ने इस बार भी मेघनाथ के साथ भयंकर युद्ध किया किंतु वह अपनी माया का प्रयोग कर रहा था जिस कारण लक्ष्मण का उसे परास्त करना कठिन था। उसके तीव्र बाणों की वर्षा व किसी भी दिशा में युद्ध करने से लक्ष्मण व्याकुल हो उठे व अपने भाई भगवान श्रीराम के पास गए।मेघनाथ के कपट पूर्ण युद्ध से क्रोधित होकर लक्ष्मण अपने भाई श्रीराम से ब्रह्मास्त्र को चलाने की आज्ञा मांगने गए। मेघनाथ निरंतर वानर सेना को समाप्त किये जा रहा था किंतु भगवान राम ने लक्ष्मण को ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल करने से मना कर दिया। उन्होंने लक्ष्मण को समझाया कि जब कोई मनुष्य हमारे सामने प्रत्यक्ष रूप से युद्ध ना कर रहा हो, हमारी शरण में आ गया हो, युद्धभूमि से भाग गया हो या पागल हो गया हो, ऐसे चार मनुष्यों पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग धर्म शास्त्रों में वर्जित माना गया है।लक्ष्मण पर शक्तिबाण का प्रहार भगवान श्रीराम के द्वारा ब्रह्मास्त्र का प्रयोग मना करने पर लक्ष्मण फिर से युद्धभूमि में गए व मेघनाथ से युद्ध करने लगे। मेघनाथ आकाश में किसी भी दिशा से लक्ष्मण पर बाण चला रहा था जिसका लक्ष्मण प्रतिकूल उत्तर दे रहे थे। फिर मेघनाथ ने लक्ष्मण को चकमा देकर उन पर तीव्र गति से शक्तिबाण चलाया जो अत्यंत भयानक था। हनुमान जी ने जब यह देखा तो उन्होंने उस बाण को रोकने का प्रयास किया लेकिन विफल रहें वह बाण आकाश मार्ग से तेज गति से आया व लक्ष्मण की पीठ में जाकर धंस गया। उसका प्रहार इतना तेज था कि लक्ष्मण के हाथों से धनुष बाण छूट गये और वे मुर्छित होकर वही गिर पड़ेलक्ष्मण को मुर्छित देखकर मेघनाथ आकाश से उनके पास आया व उन्हें उठाकर रावण के पास ले जाने लगा किंतु लक्ष्मण शेषनाग का अवतार थे। उनके भूमि पर गिरते ही वे इतने भारी हो गए कि मेघनाथ के बहुत जोर लगाने के पश्चात भी वे उनसे नही उठे। थक हारकर उसे लक्ष्मण को वही छोड़कर जाना पड़ा। इसके बाद हनुमान जी ने लक्ष्मण को उठाया व युद्धभूमि से दूर श्रीराम के पास लेकर गए।रामलीला के दौरान पंडाल दर्शकों से भरा रहा। रामलीला समिति के अध्यक्ष नीरज जिंदल, महामंत्री अमित मित्तल, कोषाध्यक्ष मनमोहन गुप्ता, प्रभारी दिनेश अग्रवाल, मीडिया प्रभारी मोहित गर्ग, , नकुल जिंदल, तुषार अग्रवाल, तरुण मित्तल,योगेश वर्मा ,केशव जिंदल,नवनीत जिंदल ,आदि मौजूद रहे।

Spread the love