बुलंदशहर : आज कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी बुलंदशहर लोकसभा सीट के प्रत्याशी शिवराम वाल्मीकि के पक्ष में प्रेस वार्ता कर रहे थे। उन्होंने इस दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी चुनाव के दौरान अपने भाषण में जो कुछ भी कहते हैं वह पूर्व प्रधानमंत्री का अपमान है। तिवारी ने कहा भारत के प्रधानमंत्री अपने पद की गरिमा भूल जाते हैं और चुनाव के दौरान अपने भाषण में जो कुछ भी कहते हैं वह पूर्व प्रधानमंत्री और प्रधान मंत्री पद और संविधान का अपमान है। उन्होंने पीएम मोदी को कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र के बारे में अपने दावों को साबित करने की चुनौती दी । उन्होंने कहा मैं प्रधानमंत्री को चुनौती देता हूं कि वह हमारे घोषणापत्र का वह पेज दिखाएं वह पंक्ति दिखाएं जहां हमने कहा है कि हम सभी से इकट्ठा करेंगे और मुसलमानों को देंगे। लेकिन समस्या यह है कि प्रधानमंत्री के लिए हिंदू-मुस्लिम विषय ऑक्सीजन की तरह है।उन्होंने कहा पहले राउंड में बुरी तरह पिटने और काफी पिछड़ने के बाद प्रधानमंत्री घबरा गए हैं। उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए या देश के मतदाताओं को उन्हें इसकी सजा देनी चाहिए। इससे पहले भी राजस्थान में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को दावा किया कि कांग्रेस का घोषणापत्र माताओं और बहनों के सोने का स्टॉक लेने और उस धन को वितरित करने की बात करता है। उन्होंने कहा कि तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने कहा कि देश की संपत्ति पर पहला हक मुसलमानों का है।उनके मंगलसूत्र सवाल इसमें सोने की कीमत का नहीं है। यह उनके जीवन के सपनों से जुड़ा है। आप अपने घोषणापत्र में इसे छीनने की बात कर रहे हैं। कांग्रेस का घोषणापत्र कह रहा है कि वे माताओं बहनों के सोने का हिसाब करेंगे और फिर उन लोगों को धन वितरित करेंगे। जिन्हें मनमोहन सिंह सरकार ने कहा था कि संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। भाइयों, बहनों, यह सोच है पीएम मोदी ने कहा, शहरी नक्सली, मेरी माताएं, बहनें, वे आपका मंगलसूत्र भी आपके कब्जे में नहीं रहने देंगे, वे इस हद तक जाएंगे।पीएम मोदी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की दिसंबर 2006 में की गई उस टिप्पणी का जिक्र कर रहे थे। जिसमें उन्होंने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला दावा अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिम अल्पसंख्यकों का होना चाहिए। बीजेपी के नेता बार-बार संविधान खत्म करने की बात कर रहे हैं। यह बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा लिखा गया संविधान है। इसे बदलने की ताकत किसी में नहीं है। वे ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं। उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि भाषण से बिजली गिरा तो सकते हैं पर बिजली बना नहीं सकते। जुमलों या गरम भाषणों से गुस्सा दिखाकर सरकार सुर्खियां बटोर सकती है, लेकिन इस जवाबदेही से वह नहीं बच सकती है।

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