बुंदेलखंड : वीरता व शौर्य का क्षेत्र सदैव रहा है। वर्तमान में यह जीवंत क्षेत्र विकास व युवा सपनों के असीम संभावनाओं का उज्जवल भविष्य है।
विकास के मानक का मुख्य आधार शिक्षा है।यह समानता , बौद्धिकता, नवीन तकनीकी व सशक्तिकरण का द्योतक है।मानकयुक्त व तकनीकी युक्त वर्तमान सुसज्जित शिक्षा की विधा सृजनात्मक व रचनात्मक डिग्रीधारक को जन्म देती है।लंबे समय से शिक्षा की जोत से बुंदेलखंड का क्षेत्र कमतर रहा है।ऐसी बात नहीं है कि प्रतिभाओं का जन्म इस क्षेत्र में नहीं हुआ, लेकिन उन्हें भी कठिन परिस्थिति व संघर्षों से गुजरना पड़ा।
बुंदेलखंड में शिक्षा के जोत जलाने में बुंदेलखंड के मालवीय कहे जाने वाले महान समाजसेवी स्वामी ब्रह्मानंद जी का नाम सदैव है।आज सरकार की सबका साथ -सबका विकास की सर्वांगीण विकास की नीति का ही परिणाम है कि आज बुंदेलखंड में अनेक मानक शिक्षण संस्थान हैं।
यहां तक की दिव्यांगों के सशक्तिकरण व स्वावलंबन के सकारात्मक उद्देश्य हेतु स्थापित जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय को जिसे हाल ही में राज्य विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया जो इस प्रकार का देश में व विश्व में पहला विशिष्ट विश्वविद्यालय है। जहां 50% सीटें अब सकलांगों के लिए भी खोल दी गयी हैं।
साथ ही चिकित्सा व अभियांत्रिकी के क्षेत्र में भी झांसी,बांदा ,जालौन में स्तरीय शिक्षण संस्थान हैं और हाल ही में सरकार द्वारा बुंदेलखंड के सर्वांगीण विकास हेतु आकांक्षी जनपद में शामिल चित्रकूट व महोबा में भी मेडिकल कॉलेज की सौगात दी गई है।
आज अनेक विश्वविद्यालय व डिग्री कॉलेज उच्च आयाम स्थापित कर रहे हैं,जो बुंदेलखंड के उन्नत व उज्जवल भविष्य निर्माण के लिए युवाओं को ध्रुव तारे की तरह मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।
बुंदेलखंड के जिलों के समीपवर्ती पूर्ण विकसित जिलों का उदय हुआ है। उदाहरण स्वरूप हमीरपुर से लगा हुआ औद्योगिक व नगरीय क्षेत्र कानपुर।यह कारण भी रहा है कि विकास की लहर का बहाव, निवेश, शिक्षण संस्थानों की स्थापना वहां तेजी से हुए,जबकि हमीरपुर का औद्योगिक व रोजगारपरक उत्पादक क्षेत्र सुमेरपुर पीछे रहा।
लेकिन सरकार की एक जिला -एक उत्पाद कार्यक्रम से सुमेरपुर जो कि जूती निर्माण के लिए प्रसिद्ध है, पुनः जीवंत, सक्रिय व रोजगारपरक हो रहा है।ऐसे ही चित्रकूट के समीपवर्ती जनपद में प्रयागराज। दोनों ही धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व के क्षेत्र हैं। लेकिन विकास में असमानताएं लंबे समय तक रहीं।
जिसका एक कारण निवेशकों में सुरक्षा की भावना की कमी भी मानी जा सकती है क्योंकि पाठा क्षेत्र दस्यु प्रभावित रहा है लेकिन आज मजबूत कानून व सुरक्षा व्यवस्था तथा समृद्ध चहुंमुखी कनेक्टिविटी से यह क्षेत्र उत्पादक व जीवंत हो उठा है। आज एयरपोर्ट का निर्माण यहां मानस पटल पर अपने पुरातन दंश को समाप्त कर रहा है।इस प्रकार बुंदेलखंड केंद्र व प्रदेश सरकार की लगातार नीतियों में शामिल है।
यहां सामाजिक समस्याएं व बाधाएं लंबे समय तक अवरोध कारक रही हैं।21 वीं सदी वर्तमान वैज्ञानिक व तकनीकी युग में बुंदेलखंड भी सामाजिक बिंदुओं का विश्लेषण, महिला सशक्तिकरण, स्वावलंबन व स्वरोजगार से आत्मीय जुड़ाव की ओर बढ़ रहा।
बुंदेलखंड का प्रत्येक जनपद किसी विशेष उत्पाद के लिए प्रसिद्ध है,जिसे एक-जनपद,एक उत्पाद योजना ने नये पंख दे दिये हैं।प्रकृति प्रदत्त केन नदी में मिलने वाला शजर पत्थर बांदा का विश्वप्रसिद्ध है,आज नवोन्मेषी युवाओं को स्टार्ट अप के बुंदेलखंड में बेहतर विकल्प उपलब्ध हैं।
कौशल की उद्यमिता व प्रतिभा स्फुटन को भी वोकल फार लोकल से सहयोग मिला है,जिससे पलायन भी इस क्षेत्र से रुका है। उन्नत कनेक्टिविटी से रोजगार सृजन हो रहा तथा आत्मनिर्भरता की दर तेजी से बढ़ रही है। बुंदेलखंड में विगत वर्षों से विकास की गंगा का तीव्र बहाव हुआ है।
चित्रकूट की पवित्र मंदाकिनी तट रामघाट, कामदगिरि, जानकी कुण्ड आदि का विकास होने से पर्यटन मुद्रा में बढ़ोतरी हो रही है। पवित्रता, मेहनत, शौर्य की प्रतीक बुंदेलखंड की मिट्टी जो अपने आप में अनेक इतिहास संजोए है,बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे व डिफेंस कारिडोर से इसका सम्मान बढ़ा है।
एक्सप्रेस वे बन जाने से पर्यटन स्थलों का भी अवसंरचनात्मक विकास होने के साथ ही पर्यटकों की सुरक्षित, आरामदायक,समय बचत के साथ गरिमामयी पहुंच सुनिश्चित हो रही है।
बुंदेलखंड व्यंजन केंद्र के रूप में ढाबे व होटलों की स्थापना से रोजगार सृजन व मजबूत अर्थव्यवस्था के साथ ही बुंदेली संस्कृति, खान-पान, शौर्यशाली अतीत को जानने के अवसर बढ़े हैं। रिवर लिंक परियोजना व बांधों के निर्माण से ज…