बुलंदशहर (संवाददाता) जेपी गुप्ता : चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय आयुर्वेद पर्व के पहले दिन पंचकर्म एवं क्षारसूत्र चिकित्सा विशेषज्ञ वैद्य हितेश कौशिक ने आयुर्वेद में हाइपोथाइरॉएडिज्म की चिकित्सा विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत किए ।जिनके बारे में जिसमें विभिन्न रोगियों की चिकित्सा पूर्व जांच रिपोर्ट एवं चिकित्सा के पश्चात की बाद की जांच रिपोर्ट प्रदर्शित की।जो कि बिना हार्मोनल चिकित्सा की स्वस्थ हुए।
उन्होंने बताया कि हाइपोथाइरॉएडिज्म की आयुर्वेद में रस प्रदोषज विकार के अंतर्गत चिकित्सा की जाती है उन्होंने इसके बारे में बताते हुए कहा कि अधिकतर लोग व्यायाम न करने के कारण,आलस्य ,बार-बार खाने की वजह से, फ्रिज में रखे हुए आहार होने के कारण, ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल का अधिक प्रयोग करने के कारण, तला हुआ एवं गुरु आहार अधिक लेने के कारण हाइपोथाइरॉएडिज्म के शिकार हो गए जिसकी आयुर्वेद में चिकित्सा पंचकर्म चिकित्सा एवं दवाओं के द्वारा सफलता से की जाती है इसके पश्चात रोगी स्वस्थ हो जाता है।
