बुलंदशहर : आज़, उत्तर प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश चेयरमैन जनाब शाहनवाज़ आलम साहब के निर्देशानुसार पूरे प्रदेश में सम्राट अकबर की जयंती मनाई गई।प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष सैयद मुनीर अकबर ने कहा कि 15 अक्टूबर 1542 को पैदा हुए अकबर,अपने पिता हुमायूं के देहांत के बाद,महज 14 साल की उम्र में ही भारत के राजा बन गए थे।
पूरे भारत में,अकबर बादशाह को एक समावेशी नेतृत्व शैली के साथ मुगल साम्राज्य का विस्तार करने और समृद्ध बनाने के लिए याद किया जाता है
शहंशाह जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर मुगल सम्राट के तीसरे राजा थे जो अपने उदार विश्वास और उत्कृष्ट प्रशासन के लिए विख्यात थे।
बादशाह अकबर ने अपने शासन-काल में कला और संस्कृति को एक उच्च शिखर पर पहुंचाया था इसके अलावा अकबर ने अपने दौरे हुकूमत (शासन-काल) मे मुगल साम्राज्य को अफगानिस्तान,सिंधु, बंगाल और गोदावरी नदी तक फैला कर भारत को एक अखंड भारत बनाया था
मुनीर अकबर ने आगे कहा कि बादशाह अकबर के विचार बहुत ही उदार थे और वे प्रत्येक धर्म का सम्मान करते थे तथा वह सभी धर्मों को विकसित करने के लिए उनका समर्थन भी करते थे उनका उद्देश्य था कि सभी धर्म संगठित हों। बादशाह अकबर ने कभी किसी को,इस्लाम धर्म को अपनाने के लिए मजबूर नहीं किया बल्कि अकबर ने गैर-मुसलमानों पर लगने वाले जजिया (टैक्स) कर को भी समाप्त कर दिया था
बादशाह अकबर एक ऐसे राजा थे जिन्होंने सभी धर्म और वर्ग को प्रतिनिधित्व देने के लिए अपने दरबार में नौ गुणवान दरबारी रखे थे जिन्हें इतिहास मे (नौ रत्न) के नाम से जाना जाता है
बादशाह अकबर द्वारा बनाई गईं कर प्रणाली उनके महान प्रशासक होने का ही प्रमाण है कि 1574 में अकबर ने कर टैक्स प्रणाली मे भी बदलाव किया था
इसमें अकबर ने सैन्य प्रशासन से राजस्व संग्रहण को विभाजित किया संपत्ति कर को वसूलने के लिए अलग-अलग कर संग्राहक बनाये
बादशाह अकबर की कुशल शासक क्षमता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उन्होंने संपत्ति कर (टैक्स) संग्रह पद्धति का निर्माण माप के आधार पर किया था,जो कि वर्तमान दिनों के आय कर की तरह अधिक या कम होता रहता था। इसे हासिल करने के लिए पहले किसानों की खेती योग्य भूमि को मापा जाता था और फिर उसी माप के आधार पर कर निश्चित किया जाता था।
खेती मे फ़सल के कम उत्पादन होने पर कर की दरों को बहुत कम कर दिया जाता था।
अकबर बादशाह ने सिक्का प्रणाली पर भी काम किया और कई तरह के सिक्कों का अविष्कार किया था अकबर द्वारा किये गये सिक्के,अविष्कार मे वर्ग और गोलाकार दोनों ही प्रकार के सिक्के बनाये गये थे,जो सोने और चाँदी से निर्मित किए गए थे बादशाह अकबर ने अपने शासन काल के 50 साल पूरे होने पर हिन्दू धर्म की संस्कृति को बढ़ावा देते हुए अपने द्वारा बनाये गये सिक्के पर मर्यादा पुरषोत्तम राम और उनकी पत्नी सीता की तस्वीर बनवा कर भी सिक्का प्राचलित किया था
हालंकि सांस्कृतिक कला और संगीत का शौक सम्राट बाबर और हुमायूंँ मे अधिक था लेकिन बादशाह अकबर ने भी भारत मे कला और संस्कृति के लिए बहुत काम किया
बादशाह अकबर ने अपने शासन-काल में मुगल शैली की वास्तुकला पर अत्यधिक बल दिया, जिसमें हिंदू, इस्लामी और फारसी डिजाइन के सामूहिक तत्व शामिल थे।फतेहपुर सीकरी, बुलंद दरवाजा,आगरा का किला,लाहौर किला और अजमेर का किला तथा कुछ और महल भी उनके ही शासन-काल के दौरान बनवाए गए थे। आगरा के किले महल की चहारदीवारी, दीवान ए-खास (निजी दर्शकों का सभा भवन), जोधा बाई का महल, बीरबल का निवास स्थान,उस समय की स्थापत्य शैली को दर्शाते हैं और आज भी भारत के गौरव को विश्व मे शिखर प्रदान करते हैँ
फतेहपुर सीकरी की विशाल जामा मस्जिद अकबर के शासन-काल में निर्मित सबसे प्रभावशाली इमारतों में से एक है।
3 अक्टूबर 1605 को अकबर पेचिश की बीमारी से पीड़ित हुए, जिसके बाद वह कभी स्वस्थ नहीं हो पाए, जिसके चलते 27 अक्टूबर 1605 को उनका देहांत हो गया था।
इस मौके पर इस्तखार खान, इस्लाम अली, विक्रम सिंह, अनवर जमाल,अजमत खान, मोहम्मद शुवैल खां, शिवकुमार,रईस अहमद,विरेन्द्र सिंह,रहीम कुरैशी, अजय कुमार,विशाल भारद्वाज,आदिल शाह,इस्माईल, राजीव भाई,राजेन्द्र यादव,राकेश त्यागी,कुन्दन कुमार, सागर सिंह, रिजवान अहमद,फ़ैज़ खान साहिल शेख,सलीम कुरैशी, रिहान चौधरी,तमजीम खां, वसीम अहमद, फजरू खां नसरूदीन,कलवा जाटव,,जौनी, अफसर अली आदि लोग मौजूद थे।
