जन्मदिन के अवसर पर उनकी चित्र पर माल्यार्पण कर उनके विचारों एवं उनकी उपलब्धियां पर रोशनी डाली।
बुलंदशहर : आज दिनांक 17 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष माननीय शाहनवाज आलम साहब के निर्देशानुसार आज़ उत्तर प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष सैयद मुनीर अकबर ने कैम्प कार्यालय उपर कोट पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद अहमद खान साहब के जन्मदिन के अवसर पर उनकी चित्र पर माल्यार्पण कर उनके विचारों एवं उनकी उपलब्धियां पर रोशनी डाली।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष सैयद मुनीर अकबर ने कहा कि सर सैयद भारतीय समाज के युगद्रष्टा, अग्रणी समाजसेवी और महान् सपूतों में से एक समाज सुधारक शिक्षा के क्षेत्र मे क्रांति लाने वाले, अशिक्षितो के मसीहा सर सैयद अहमद खान जी के यौमेपैदाइश पर समस्त देशवासियो को दिली मुबारकबाद।
विडंबना यह है कि इन्हे कुछ कम जर्फ लोगो ने केवल एक समुदाय के मसीहा के रूप में उनकी भूमिका को रेखांकित किया जो पूरी तरह से उन्हे कम आकंने और एक समुदाय तक सीमित करने का दुष्प्रचार किया गया। वो एक महान् चिंतक, मानवतावादी, राष्ट्रवादी युगपुरुष के रूप में उनके वास्तविक व्यक्तित्व को नजरअंदाज किया गया।
हम मांग करते है कि शिक्षा के जगत मे अतुलनीय काम कर करने वाले स्वर्गीय सर सैय्यद साहेब को भारत रत्न दिया जाए।
इस मौके पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष सैयद मुनीर अकबर ने कहा कि सर सैयद अहमद ख़ान का जन्मदिन 17 अक्टूबर 1817 हुआ वह मुस्लिम नेता थे जिन्होंने भारत में रह रहे मुसलमानों के लिए मजहबी व दुनियावी शिक्षा की शुरुआत की।[1] इन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना की ।
[2] उनके प्रयासों से अलीगढ़ विश्विद्यालय की शुरुआत हुई, जिसमें शामिल नेताओं ने मुसलमानों को मजहबी शिक्षा व आधुनिक युग व दुनियावी शिक्षा से शिक्षित करने का काम किया। सय्यद अहमद १८५७ के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में यह सच है कि उन्होंने ग़ैर फ़ौजी अंग्रेज़ों को अपने घर में पनाह दी, बाद में जब सर सैयद अहमद को लगा कि भारत स्वतंत्रता संग्राम में मुसलमानों को एक नेता की आवश्यकता है तो वे उनके नेता बने और अंग्रेजो के साथ उन्होंने अपने मुस्लिम समुदाय के लिए हिन्दुओ से अलग प्रवधान और विशेष अधिकार मांगने शुरू किए और अंग्रेजो से इस बात पर अधिकार मांगने शुरू किए की मुस्लिम आर्थिक रूप से कमजोर है और तादात में भी कम है बाद में अपने उग्र भाषणों से वे ब्रिटिश सरकार की निगाह में आए और भारत के विभाजन की नींव रखी गई
[3] बाद में उस संग्राम के विषय में उन्होने एक किताब लिखी: असबाब-ए-बग़ावत-ए-हिन्द, उर्दू को भारतीय मुसलमानों की सामूहिक भाषा बनाने पर ज़ोर दिया।
इस मौके पर मुख्य रूप सलीम अख्तर,अली खान,साहिल शेख,वहीद नकवी,फैसल खान,अदीब अली,शाहरुख खान,शाहिद सिद्दीकी,राजीव कुमार,सागर सिंह,रिजवान अहमद आदि मौजूद थे