बुलंदशहर : आज श्री मदभागवत आयोजन समिति गुरु कर्षणीय कलाप आश्रम ट्रस्ट नहर द्वारा 7 वें दिनआयोजित कथा में चैतन्य जी महाराज बोलते हुए कहा कि मनुष्य को जीवन मे भगवत प्रेम में जितना हो सके लगा रहने चहिये क्योंकि भगवत नाम ही मानव का पालन हार है जितना हो सके सत्संग औऱ सन्तों की बीच बैठना चाहिए आज की कथा में सुदामा के चरित्र का वर्णन किया गया।

सुदामा भगवान के अनन्य भक्त होने साथ ही मित्र भी थे जब सुदामा गरीबी में अधिक परेसान थे तब उनकी पत्नी ने उनसे अपने मित्र कृष्ण के पास जाने को कहा पहले तो बार बार मने करते रहे बाद बढ़ी मुश्किल से जाने को तैयार हुए और मथुरा पहुंच गए वहाँ पहुंच जब महल में पहुंचे तो अंदर जाने के लिए समाचार भिजवा गया जब कृष्ण को पता चला के मेरा मित्र सुदामा आया है तो वह वह नङ्गे पैर ही बाहर दौड़े चले आये और सुदामा की हालत देखकर बहुत दुखी हुए कहा कि सुदामा तूने आने में देर क्यो कर दी क्या तुझे अपने मित्र पर भरोसा नही था इसके बाद सुदामा का खूब आदर सत्कार किया गया उनके कस्टों को दूर किया और सुदामा के जीवन को ही बदल दिया सुदामा के चरित्र को सुनके सभी भक्त भावुक हो गए।
आज की कथा में रामकिशोर शर्मा, बलदेव बाधवा, गोपाल गौतम, रवि बाबू, कीमती लाल, प्रदीप गोयल, मधु बाधवा, बिना शर्मा सहित सेकड़ो भक्तो ने भाग लिया।