बुलंदशहर : आज शुक्रवार 9 अगस्त को नाग पंचमी के दिन महर्षि चरक जयंती के अवसर पर नगर के यमुनापुरम स्थित समता आयुर्वेदिक सेंटर पर जनपद आयुर्वेद सम्मेलन के तत्वावधान में एक विचार गोष्ठी एवं निशुल्क आयुर्वेद चिकित्सा परामर्श शिविर का आयोजन किया गया इस अवसर पर अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन के केंद्रीय संगठन मंत्री तथा क्षारसूत्र एवं पंचकर्म चिकित्सा विशेषज्ञ वैद्य हितेश कुमार कौशिक ने बताया कि श्रावण शुक्ल नाग पंचमी को नित्य ,अनादि ,आयुर्वेद के मुख्य कायचिकित्सक महर्षि चरक का जन्म कश्मीर में पुंछ के पास कपिष्ठल गांव में हुआ था ।उन्होंने कायचिकित्सा के खंडित हो चुके महान ग्रंथ अग्निवेशतंत्र का प्रतिसंस्कार (पुनर्लेखन) कर चरकसंहिता रूपी कालजयी रचना विश्व को प्रदान की। आचार्य चरक ने सामान्य -विशेष सिद्धांत को प्रतिपादित किया । त्रिसूत्र सिद्धांत को प्रतिपादित करने वाले सर्वप्रथम आचार्य चरक ही थे ।दिनचर्या ,ऋतुचार्य, वेगधारण आदि के बारे में भी आचार्य चरक में विस्तार से वर्णन किया है आजकल हम लाइफस्टाइल डिसऑर्डर की चर्चा बहुत जगह सुनते हैं व करते हैं जिनके बारे में आचार्य चरक ने हजारों वर्ष पहले ही बता दिया था ।हमें प्रतिदिन क्या-क्या करना चाहिए ,कौन सी ऋतु में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए ।इसके बारे में भी आचार्य चरक ने विस्तार पूर्वक वर्णन किया है डिटॉक्सिफिकेशन के लिए पञ्चकर्म चिकित्सा को आचार्य चरक ने पुनः प्रतिस्थापित किया ।आचार्य चरक के बताएं सिद्धांत पूर्णतः वैज्ञानिक एवं स्वीकार करने योग्य :अभी 3 वर्ष पूर्व जब संपूर्ण विश्व कोरोना महामारी की चपेट में था एवं अन्य विकसित देशों में इस महामारी से मरने वालों का आंकड़ा इतना अधिक था कि कब्रिस्तान में भी जगह कम पड़ने लगी थी उसे समय जबकि भारत की आबादी संपूर्ण विश्व में सर्वाधिक है तब आयुर्वेद विशेषज्ञों ने एवं आयुर्वेद संस्थाओं ने आयुर्वेद में वर्णित त्रिदोष सिद्धांत को समझने के बाद लोगों की चिकित्सा की एवं करोड़ों लोगों को काल के गाल में सामने से बचाया ।आचार्य चरक के सिद्धांत जिस प्रकार पहले सर्वमान्य थे उसी प्रकार अब हैं एवं आगे भी रहेंगे ।।गोष्ठी में डॉक्टर एस सी गर्ग ,अजय खन्ना ,ललित वर्मा ,आकाश वर्मा ,रामकिशन गुप्ता ,सतीश चंद्र बंसल ,एस सी पालीवाल ,सतीश शर्मा आशुतोष आदि उपस्थित रहे
काय चिकित्सा के मूलभूत सिद्धांतों के जनक थे महर्षि चरक :वैद्य हितेश कौशिक
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