बुलंदशहर : शोक सभा में अपने विचार रखते हुए प्रोफेसर अख्तरुल वासे ने कहा कि “जफरयाब जीलानी जैसे संघर्षशील, जुझारू शरीफ व नेक दिल इंसान मुश्किल से ही पैदा होते हैं, चाहे उनका वकालत में बड़ा नाम हो, शिक्षा जगत में हो, बाबरी मस्जिद आंदोलन हो या फिर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक स्वरूप सब में उनका किरदार व रोल न केवल नुमाया है बल्कि वो तारीक़ का एक अनमोल हिस्सा है।
उन्होंने जीवन भर हक़ व इंसाफ की लड़ाई लड़ी और कमजोर मज़लूम के लिए हमेशा खड़े रहे। उन्होंने जिस अंदाज से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में अपना योगदान दिया वह सुनहरे अक्षरों से लिखा जाएगा और उनका निधन न केवल मिल्लत का नुकसान है बल्कि मेरा जाति तौर पर भी नुकसान है , विभिन्न क्षेत्रों और विशेषकर मिल्ली मसाइल में उनके योगदान को बुलाया नहीं जा सकता है। उनके शैक्षिक मिल्ली सामाजिक कौमी कार्य इतिहास का हमेश हिस्सा रहेंगे। वह मुस्लिम यूथ कन्वेंशन के संस्थापक सदस्य थे जिनके नेतृत्व में युवाओं ने देश में तरक्की खुशहाली और खुद्दारी की एक नई बुनियाद रखी थी।