बुलंदशहर : सुप्रीम कोर्ट में इन दिनों समलैंगिक विवाह के सम्बन्ध में चल रही सुनवाई की प्रतिक्रियास्वरूप विभिन्न सामाजिक व महिला संगठनों के पदाधिकारियों ने समलैंगिक विवाह को भारतीय संस्कृति के विरुद्ध बताते हुए 1 हजार लोगों के हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन डीएम चन्द्र प्रकाश सिंह के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को प्रेषित कर इस विषय में जनभावनाओं का सम्मान करते हुए विधिक मान्यता नहीं देने की मांग की।
महिला सामाजिक कार्यकर्ता कमलेश सोलंकी एवं डॉ. ममता यादव एवं राष्ट्र चेतना मिशन के अध्यक्ष हेमन्त सिंह के नेतृत्व में दर्जनों लोग कलेक्ट्रेट स्थित जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे। सभी ने समलैंगिक विवाह को विधिक मान्यता दिलाने के प्रयासों पर घोर आपत्ति जताते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित 8 सूत्रीय ज्ञापन एवं 1 हजार लोगों का हस्ताक्षर पत्र डीएम चन्द्र प्रकाश सिंह को सौंपा।
कमलेश सोलंकी ने कहा कि भारत देश आज अनेक सामाजिक व आर्थिक क्षेत्रों के अनेक गंभीर चुनौतियों व समस्याओं से जूझ रहा है तथा समाज हित के असंख्य मामले अदालतों में लंबित पड़े हैं, ऐसे में समलैंगिक विवाह जैसे औचित्यहीन प्रकरण को इतनी गंभीरता से लेकर सुनवाई और आतुरता की कोई आवश्यकता नहीं है।
डॉ. ममता यादव ने कहा कि भारत में विवाह महिला और पुरुष के बीच में सामाजिक, सांस्कृतिक एवं पारिवारिक रूप से पवित्र मिलन है जो आदिकाल से वंश परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए पूर्ण निष्ठा से निभाया जा रहा है। इसके मूल तत्वों से छेड़छाड़ कर समलैंगिक विवाह को मान्यता देने का कुत्सित प्रयास भारतीय समाजैक आस्थाओं पर भयंकर कुठाराघात है।
राष्ट्र चेतना मिशन के अध्यक्ष हेमन्त सिंह ने भी इस मामले में कुतर्क प्रस्तुत कर रहे लोगों की घोर आलोचना करते हुए, अधिसंख्य जनभावनाओं को आधार मानकर समलैंगिक विवाह को विधिक मान्यता के प्रायसों को निरस्त करने की मांग की।
कार्यक्रम में अलका, गीता बंसल, हेमन्त सिंह, कमलेश सोलंकी, डॉ. ममता यादव, मिथलेश सोलंकी, डॉ. हेमा तोमर, ज्योति गोयल, प्रेमलता, प्रेरणा सोलंकी, पूर्वा तोमर, कृष्ण मिश्रा, विकास सिंह, शुभ पंडित, प्रखर सोलंकी, कृष्णा गोयल आदि सम्मिलित रहे।
