जलीलपुर : जहांगीराबाद, ज़िला बुलंदशहर, (यू.पी.) का ऑल इंडिया मुशायरा”जश़्ने साबिर में ऑल इंडिया मुशायरा मौक़ा था उर्स जश्ने साबिर का मुशायरा में सदारत : सैय्यद फ़िरोज़ अली शाह क़लंदर साबरी साहिब पंजाब (सज्जादा नशीन ख़ानक़ाह-ए-साबरी, पंजाब) ने की! महमान-ए-ख़ुसूसी : माननीय टीकम सिंह रहे!निज़ामत, संचालन : सैय्यद अली अब्बास नौगांवी साहिब अमरोहा ने बहुस्न ख़ूबी अंजाम दी!कन्वीनर : जनाब जुनून स्यानवी , डॉ इमरान रहे! मुशायरा का शुभारंभ डॉक्टर टीकम साहब, प्रधान अय्यूब कुरैशी तथा बाबा फ़िरोज़ साहब ने फ़ीता काटकर किया। मुशायरा में दूर दराज़ से आने वाले शेयरों ने जो कलम पढ़े उनमें से कुछ आपकी नज़र हैं डॉ सैयद रही निज़ामी शैदा कहते हैंकिसने जुल्फों को लहरा दियाआसमां पर घाटा हो गई सैयद अली अब्बास नोगाॅंवीं कहते हैं मुख्तलिफ़ मज़ाहिब के गुल है मेरे गुलशन मेंप्यार और मोहब्बत का गुलिस्तान मेरा है फ़हीम कमलापुरी कहते हैं आजकल की शायरी में वो कहां दमख़म फ़हीम अब अदब की आड़ में खाना कमाना हो गयाजुनून स्यान्वी कहते हैं इधर तुम बेहिसी ओढ़ पड़े होउधर मक़तल सजाया जा रहा हैअसरार सरावनी कहते हैं फ़ासला भी हो अगर तो फ़ासला ऐसा ना हो तेरी सूरत देखने को भी जो मैं तरस करूं फ़रमान ज़हीर कहते हैं क्या सुनाऊं क्या कहूं अब कुछ कहा जाता नहीं बाबा हैदर का जो ग़म है वो सहा जाता नहीं हास्य शायर फ़िरासत जमाल डमडम कहते हैं कल मेरा बहनोई जो आया दाल बनी थी मेरे घर आज बहू का भैया आया झट से मुर्गा काट दियाडॉ असलम बुलंदशहर्री कहते हैं अब आके जवानी में मुझे घूर रहा हैबचपन से मेरी आंखों का तू नूर रहा हैइनके अलावा आमिर मेरठी, हाफ़िज़ बदरुद्दीन दानिश, रिहान मंज़र स्यानवी, अबरार साग़र दौताई, शहज़ाद नानपुरी, क़ादिर किठौरवी, असग़र ग़ालिब जलीलपुरी ने भी काव्य पाठ किया अंत में कन्वीनर डॉक्टर इमरान , जुनून ने सभी का शुक्रिया अदा किया

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